चेतन मन
– मस्तिष्क का वह भाग, जिसमें होने
वाली क्रियाओं की जानकारी हमे होता हैं, चेतन मस्तिष्क है। यह वस्तुनिष्ठ एवं तर्क पर आधारित होता है।
अवचेतन मन या
चेतना में जीने वाले व्यक्ति को जिंदगी की जंग में हार का मुंह देखना पड़ता है। यह
मानसिक और भावनात्मक कमजोरी का भी प्रतीक है जिसमें सफलता की सीढ़ी बनने की क्षमता
नहीं होती। वास्तव में मानवीय विकास या उपलब्धि के लिए स्मृति बेहद महत्वपूर्ण है।
इससे ईश्वर की उपासना या कहिए ईश्वरीय यात्रा में भी मदद मिलती है। हमेशा स्मृति
लोप का शिकार रहने वाला व्यक्ति अपने सारे प्रयासों में असफल हो जाता है।
अवचेतना का शिकार व्यक्ति बार-बार गलती करता है। जिस व्यक्ति की
इच्छाशक्ति और स्मृति मजबूत है, वह अपने सारे प्रयासों व कार्ये में
सफल होता है। जिसके पास अच्छी याददाश्त होती है, वह सफलतापूर्वक
अपने व्यावसायिक कार्ये को अंजाम देने में सक्षम होता है। उसे क्रेडिट और डेबिट
याद रहता है। वह व्यावसायिक एकाउंट्स को संतोषप्रद तरीके से संचालित करता है। इस
तरह से उसकी विश्वसनीयता बनी रहती है। इंटेलीजेंस या कुशाग्रता स्मृति का महज
दसवां हिस्सा होती है।
मेमोरी के लिए संस्कृत में शब्द है स्मृति। स्मरण याद रखने को कहा
जाता है। किसी बात या काम को याद रखना अवचेतन मन या चित्त का काम है। चिंतन और
कार्य दोनों के संस्कार चित्त से निकलते हैं। चित्त किसी कैमरे और ग्रामोफोन के
संवेदनशील प्लेट की तरह होता है। सभी तरह के विचार या जानकारियां इस पर रिकार्ड
होती जाती हैं। जब कभी आप किसी पूर्व घटना को याद करने की कोशिश करते हैं तो आप
ट्रैप डोर के जरिए सचेत मस्तिष्क की धरातल पर आते हैं।
ट्रैप डोर के जरिए जानकारियां, विचारों या
मानसिक इमेज की बड़ी तरंगों के रूप में सामने आती हैं। अगर आपकी आंखें एस्ट्रल हैं
तो आप अपने मस्तिष्क की कार्यशाला में इन इमेजों की सारी गतिविधियां दे सकते हैं।
मेमोरी शब्द का इस्तेमाल दो अर्थे में होता है। जब हम कहते हैं कि जॉन की मेमोरी
अच्छी है तो इसका मतलब यह है कि पिछले अनुभवों को संचित करने की उसकी क्षमता अच्छी
है। और जब आप कहते हैं कि मुझे उस घटना की अच्छी याद नहीं है तो इसका मतलब है कि
आप उस घटना को सही तरीके से बयां नहीं कर सकते। वास्तव में स्मृति किसी पिछली घटना
को याद करने का एक कृत्य भी है।